एक किसान की कहानी
यह कहानी है रामू की — एक साधारण लेकिन जुझारू किसान की, जो उत्तर भारत के एक छोटे से गांव सीतापुर में रहता था। रामू के पास ज़मीन बहुत कम थी, बस दो बीघा। लेकिन मेहनत उसके खून में थी और उम्मीद उसकी आंखों में।
हर सुबह सूरज उगने से पहले ही रामू खेतों में पहुंच जाता। गर्मी, सर्दी, बारिश — कोई भी मौसम हो, वो कभी नहीं चूका। उसका सपना था कि एक दिन उसके खेतों में इतनी उपज हो कि वह अपने बच्चों को शहर में पढ़ने भेज सके।
एक साल बहुत बुरा बीता। बारिश ने धोखा दे दिया। सूखा पड़ गया, फसल बर्बाद हो गई। कर्ज बढ़ने लगा, और घर की हालत दिन-ब-दिन खराब होती गई। गांव के कई किसान खेती छोड़ने लगे। रामू के पास भी दो ही रास्ते थे — या तो हार मान ले, या डटकर मुकाबला करे।
रामू ने दूसरा रास्ता चुना। उसने गांव के पुराने तालाब को खुदाई कर के दोबारा जीवित किया। कुछ और