जंगल के बीच एक छोटी सी नदी के किनारे एक कछुआ रहता था, जिसका नाम था काजू। काजू धीमा चलता था, लेकिन उसका दिमाग बहुत तेज था। एक दिन, जंगल में खबर फैली कि पास के पहाड़ पर एक जादुई फल का पेड़ है, जो खाने वाले को बुद्धिमानी और हिम्मत देता है। काजू ने सोचा, "मुझे वो फल जरूर लेना है!"रास्ता लंबा और खतरनाक था। काजू ने अपने दोस्त, चीटी रानी और गौरैया गीतू को साथ चलने के लिए बुलाया। चीटी रानी ने कहा, "मैं छोटी हूँ, लेकिन मेरी मेहनत काम आएगी।" गीतू ने चहकते हुए कहा, "मैं आसमान से रास्ता देखूँगी।" तीनों दोस्त निकल पड़े।रास्ते में एक गहरी खाई आई। काजू ने अपनी पीठ पर चीटी रानी को बिठाया और धीरे-धीरे खाई पार की। फिर एक जहरीले साँप ने रास्ता रोका। गीतू ने ऊपर से उड़कर साँप का ध्यान भटकाया, और काजू व चीटी रानी चुपके से निकल गए। आखिरकार, जब वे पहाड़ पर पहुँचे, तो पेड़ तक जाने के लिए एक ऊँची चट्टान थी। चीटी रानी ने अपनी मेहनत से चट्टान पर रस्सी जैसी लकीर बनाई, जिससे काजू धीरे-धीरे चढ़ गया। गीतू ने हवा में उड़कर फल तोड़ा और काजू को दे दिया।तीनों ने फल बाँटकर खाया। अचानक, काजू को एक नया विचार आया। उसने कहा, "हमें ये फल पूरे जंगल में बाँटना चाहिए!" तीनों ने मिलकर पेड़ से और फल इकट्ठा किए और जंगल के हर जानवर को बाँट दिए। जंगल अब पहले से ज्यादा समझदार और एकजुट हो गया।सीख: दोस्ती, मेहनत और साझेदारी से कोई भी मुश्किल काम आसान हो जाता है।